"I slept and dreamt
that life was joy
i awoke and saw
that life was service
i acted and behold ,
service was joy"--Rabindranath Tagore
"यह निरूदेशय जीवन मुझे स्वीकार नही
मुझे स्वीकार नही यह कठिनाइयों से रीता जीवनमुझे तो अभी उड़ना है ,
अपनी सबसे ऊँची उड़ान ॥
कठिनाइयों को परखना है
पहाडों को फांदना है ॥
कितने ही अभागे हैं इस संसार में
उनके साथ भी तो चलना है
उनके दर्द को महसूस करके
उन्हें असीम प्रेम भी तो देना है ॥
तभी शायद सफल होगा ये जीवन
ये निर्रुदेशय जीवन ॥" ---Jogi
bahut sunder vichar .
ReplyDeleteshubhkamnae........
सुन्दर विचार है आपके की मन को भा गए....
ReplyDeleteकाश दुनिया में हर कोई ऐसा ही सोचते और करते तो दुनिया कितनी सुन्दर होती.
ढेरों बधाई आपको !!!!!!!
Thanks all for the kind words of appreciation !!
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